1
बिकाऊ है मगर कोई खरीरदार नहीं मिलता
मुसीबत में कोई मददगार नहीं मिलता ।
एक हम है जो तुझपर जान छिड़कते है
बड़े शहरो में ऐसा यार नही मिलता |
2
वो मेरे करीब भी है और दूर भी
हमेशा सोचता हूँ रुबरु सामना कब होगा ।
उसे देखते ही जो चाँद याद आ गया था
अब उस चेहरे का दीदार कब होगा |
बहुत दिन हो गए किराये रहते हुए ए चन्दन
इस शहर में तेरा मकान कब होगा ।
3
शायद किस्मत को यही मंजूर था पर मुझे मंजूर न था
बड़ा कर हौसला जब मै आगे बड़ा किस्मत ने अपना रुख बदल लिया
बिकाऊ है मगर कोई खरीरदार नहीं मिलता
मुसीबत में कोई मददगार नहीं मिलता ।
एक हम है जो तुझपर जान छिड़कते है
बड़े शहरो में ऐसा यार नही मिलता |
2
वो मेरे करीब भी है और दूर भी
हमेशा सोचता हूँ रुबरु सामना कब होगा ।
उसे देखते ही जो चाँद याद आ गया था
अब उस चेहरे का दीदार कब होगा |
बहुत दिन हो गए किराये रहते हुए ए चन्दन
इस शहर में तेरा मकान कब होगा ।
3
शायद किस्मत को यही मंजूर था पर मुझे मंजूर न था
बड़ा कर हौसला जब मै आगे बड़ा किस्मत ने अपना रुख बदल लिया