Sunday, September 8, 2013

टूटी फूटी शायरी

1
बिकाऊ है मगर कोई खरीरदार नहीं मिलता
मुसीबत में कोई मददगार नहीं मिलता ।

एक हम है जो तुझपर जान छिड़कते है
बड़े शहरो में ऐसा यार नही मिलता |

2
वो मेरे करीब भी है और दूर भी
हमेशा सोचता हूँ  रुबरु सामना कब होगा ।

उसे देखते ही जो चाँद याद आ गया था
अब उस चेहरे का दीदार कब होगा |
बहुत दिन हो गए किराये रहते हुए ए चन्दन
इस शहर में तेरा मकान कब होगा ।

3

शायद किस्मत को यही मंजूर था पर मुझे मंजूर न था
बड़ा कर हौसला जब मै आगे बड़ा किस्मत ने अपना रुख बदल लिया






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